रीतिकाल का साहित्‍य, नामकरण, प्रवृत्तियाँ, विशेषताऍं, प्रमुख कवि एवं रचनाऍं | रीतिकाल की संपूर्ण जानकारी

रीतिकाल

हिन्दी साहित्य के इतिहास की संपूर्ण जानकारी

रीतिकाल (वर्ष 1650 ई. से 1857 ई. तक) हिंदी साहित्य के उत्तर मध्यकाल के समय को रीतिकाल के नाम से जाना जाता है। इस काल में शृंगारिकता, नायिका भेद, और अलंकार-प्रियता की झलक मिलती है। इस पृष्ठ पर रीतिकाल का सम्पूर्ण परिचय, नामकरण, विशेषताएँ, प्रमुख प्रवृत्तियाँ, और कवियों व लेखकों के योगदान की सभी जानकारी दी गई है। साथ ही यहाँ पर रीतिकाल की  तीनों प्रमुख धाराओं जैसे रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त के प्रमुख कवि जैसे केशव, चिंतामणि, देव, बिहारी, मतिराम, भूषण, घनानंद, पद्माकर आदि कवियों व आचर्यों के साहित्यिक योगदान और रचनाओं की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। यह सामग्री Hindi TGT, PGT, UGC NET, JRF और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है, जिसके माध्यम से आप हिंदी साहित्य का गहन अध्ययन और बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं।

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