अनुवाद की पाश्चात्य परम्परा | Hindi Stack
अनुवाद की पाश्चात्य परम्परा | Hindi Stack

अनुवाद एक लिखित विधा है किन्तु अनुवाद का आरम्भ अनुकथन के रूप मे हुआ था। अनुकथन का अर्थ था किसी के कहने के बाद कहना। अत: प्रारम्भ पहले अंत: भाषिक स्तर पर हुआ। इसका अर्थ है एक ही भाषा–भाषियों के मध्य संप्रेषण। बाद मे इस विधा का विकास भाषान्तर अर्थात अंतर्भाषिक स्तर पर हुआ। यही कालांतर मे अनुवाद कहलाया।

अनुवाद की पाश्चात्य परम्परा

पश्चिम मे अनुवाद की परम्परा कब शुरू हुई यह कहना कठिन है। पश्चिम मे रोजेटा स्टोर(Rosetta Store) को अनुवाद का प्रथम प्रमाण माना जाता है। यह एलेक्जेंडिया से लगभग 10 किलोमीटर दूर Rosetta नामक स्थान पर लगे एक स्टोर से पता चला था। इस पर मिस्र तथा ग्रीक की (यूनानी) भाषा मे कुछ लिखा था। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी मे असीरिया का राजा सरगाव अपने राज्य की घोषणाये कई भाषा मे करवाता था। ये घोषणाये मूल रूप मे असीरियाई भाषा मे होती थी, और इनका अनुवाद करवाया जाता था। हम्मूरबी (Hammurabi) राजा के शासन काल मे बेबीलोन एक बहुभाषी नगर था। राजा ने अपने नगर मे कई लेखक नियुक्त कर रखे थे जो राज्य के आदेशों क भिन्न-भिन्न भाषाओं मे अनुवाद किया करते थे। ये लोग संदर्भ कोष भी बनाते थे।

बाइबिल का अनुवाद

सर्वप्रथम बाइबिल के हिब्रु संस्करण का ग्रीक (यूनानी) भाषा मे अनुवाद हुआ, इस अनुवाद को सेप्टुआजेंट (Septuajent) कहा जाता है। 70 अनुवादकों ने इसका सत्तर दिन मे अनुवाद पूरा कियाशायद इसीलिये इसका नाम सेप्टुआजेंट (सत्तर) पड़ गया। लैटिन मे भी बाइबिल के अनुवाद हुए। लैटिन मे साहित्य की कई अन्य कृतियों के अनुवाद भी हुए है। यूनानी उस समय की समृद्ध भाषा थी अत: यूनान से कम और यूनानी भाषा मे अधिक अनुवाद किया गया। अत: लगभग 240 ईसा पूर्व मे होमर के ग्रीक महाकाव्य ओडेसी (oddessy) पद्द्यानुवाद लिवियस एंड्रोनिकस (Livius Andronicus) ने किया सिसरो ने प्लेटो के pryagorus का लैटिन मे अनुवाद किया । इस अनुवाद मे भावों के स्थान पर शब्दों को अधिक महत्व दिया गया।

न्यू टेस्टामेंट-

इसका अनुवाद सेंट जेरोम ने किया। इस अनुवाद मे शाब्दिक अनुवाद के स्थान पर भावानुवाद (sense for sense and word for word) की शैली अपनायी गयी। सेंट जेरोम के अनुवाद के क्षेत्र मे रचनात्मक योगदान के लिये उन्हे अनुवादकों का मसीहा कहा जाता है। अब तक के बाइबिल के अनुवादो मे उनका अनुवाद सबसे अच्छा था।

रिनेसा या पुनर्जागरण–

इस काल को अनुवाद का स्वर्ण युग कहा जाता है। अब धार्मिक ग्रंथों के अलावा जनरुचि के विषयों का भी अनुवाद होने लगा। रोम मे मुख्यतया यूनानी भाषा से ही अनुवाद किये गये। इस काल का उल्लेखनीय नाम मार्टिन लूथर का है। जिन्होंने 1522 मे न्यू टेस्टामेंट का जर्मन भाषा मे अनुवाद सम्बंधी सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। लूथर के अनुवाद सम्बंधी सिद्धांतों का प्रभाव जर्मन व अंग्रे़जी अनुवादकों पर पड़ा। उनके समकालीन डाले (Dole) ने अनुवाद पर लेख लिख कर अपने विचारों का प्रतिपादन किया। डाले ने निम्नलिखित सिद्धांतों का प्रतिपादन किया।

  1. अनुवादक का दोनों भाषाओं पर अधिकार हो।
  2. अनुवादक को लेखक के कथ्य और आशय को आत्मसात कर अनुवाद करना चाहिये।
  3. शब्दानुवाद नहीं भावानुवाद करना चाहिये।
  4. अनुवाद मे सरल और बोलचाल के शब्दों का प्रयोग करना चाहिये।
  5. शब्द-चयन एवम्‌ वाक्य-विन्यास ऐसा हो कि मूल भाषा का प्रभाव व्यक्त हो सके।

अंग्रेजी अनुवाद की परम्परा

इंग्लैंड में अंग्रे़जी अनुवाद की परंपरा 9वीं शती से प्रारम्भ हुई और 16वीं शताब्दी तक काफी सुद्रढ़ हो गयी। जान विकिल्फ (1320) ने अंग्रेजी मे बाइबिल के न्यू टेस्टामेंट का पहला अनुवाद किया। तत्पश्चात हिब्रू, ग्रीक, और लैटिन के अनुवादो के आधार पर अंग्रेजी मे कई अनुवाद हुए। 1604 मे जेम्स प्रथम ने 47 अनुवादकों को बाइबिल के अधिकृत अनुवाद के लिये नियुक्त किया गया। यह अनुवाद 1611 मे पूरा हुआ। यह अब तक का सबसे अच्छा अनुवाद था। अंग्रेजी मे बाइबिल के अतिरिक्त अन्य ग्रंथों के अनुवाद भी किये गये। अब्राहम काउले (1618-67) ने ग्रीक कवि पिंडर के ओड्स का अनुवाद किया और उसे उन्होने काफी स्वच्छंदता से किया।

फिट्जेराल्ड (1809-1883 ) –

फिट्जेराल्ड ने कई कृतियों के अनुवाद किये किंतु उनका प्रसिद्ध अनुवाद उमर खय्याम की रुबाइयों का अनुवाद है। वे शब्दानुवाद के नहीं अपितु भावानुवाद के समर्थक थे। उनका मानना था कि

“एक मरे हुए बाज से एक जीवित गौरैया बेहतर है”

अर्थात वे जीवंत अनुवाद के समर्थक थे। (Better a live sparrow than a stuffed eagle)

बीसवीं शताब्दी का अनुवाद:

इस शताब्दी मे अनुवाद के सम्बंध मे कई सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया। इनमे जार्ज स्टीमर, नाइडा, कैट्फोर्ड, आदि विचारकों ने नये नये सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जिनमे सम्तुल्यता का सिद्धांत, डिकोडिकरण क सिद्धांत उल्लेखनीय हैं।


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