Search
Close this search box.

पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण से जुड़ी विभिन्न सम्प्रदाएँ

पारिभाषिक शब्दावली (Paribhashik shabdavli) के निर्माण से जुड़ी विभिन्न सम्प्रदाएँ Hindistack

हिंदी भाषा में पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण के क्षेत्र में शुरुआत से ही व्यक्तिगत एवं संस्थागत दोनों ही स्तरों पर प्रयास हुआ है। स्त्रोत भाषा के  पारिभाषिक शब्दों के लिए हिंदी में परिभाषिक शब्द गढ़ने के लिए अलग-अलग मत व्यक्त किए जाते रहे हैं। कुछ विद्वानों का मत रहा की परिभाषिक शब्द संस्कृत निष्ठ होने चाहिए तो कुछ मत था कि यह शब्द सरल होने चाहिए, कुछ मानते थे कि यह शब्द सर्वमान्य होने चाहिए तो कुछ कहते थे कि परिभाषिक शब्द सर्वग्राह होने चाहिए ऐसे अनेक मत परिभाषिक शब्दावली के निर्माण में प्रस्तुत किए जाते रहे। जिसके कारण हिंदी में परिभाषिक शब्दावली (Paribhashik shabdavli) के निर्माण के क्षेत्र में विभिन्न सम्प्रदायों का जन्म हुआ। जिनका विवरण निम्नलिखित है :

राष्ट्रीयतावादी सम्प्रदाय : इस संप्रदाय को  प्राचीनतावादी, संस्कृतवादी, शुद्धतावादी आदि अनेक नामों से जाना जाता है इस मत में विश्वास रखने वाले विद्वान परिभाषिक शब्दों के लिए या तो संस्कृत से शब्द ग्रहण करना चाहते थे या संस्कृत के उपसर्ग प्रत्यय शब्द धातु आदि के आधार पर नए शब्द गढ़ना चाहते थे। इस विचारधारा के प्रवर्तक डॉरघुवीर थे। उनकी इच्छा अंग्रेजी के लाखों शब्दों के हिंदी पर्याय बनाने की थी तथा वे मृत्यु होने तक लगभग 5 लाख शब्दों का निर्माण कर चुके थे। उनके इस महान कार्य के करण ही लोग उन्हें ‘अभिनव पाणिनी’ के रूप में देखने लगे थे। उन्होंने आंग्लभारतीय महाकोश,  वैज्ञानिक शब्दकोश, अर्थशास्त्र शब्दकोश, वाणिज्य शब्दकोश, सांख्यिकी शब्दकोश, तर्कशास्त्र शब्दकोश, पक्षीनामावली, भेषज-संहिता शब्दकोश, मंत्रालय कोश, अंग्रेजी-हिंदी ब्रह्दकोश, विधिकोश, वानिकी कृषिकोश आदि का निर्माण किया। उन्होंने शब्द निर्माण में वैदिक-संस्कृत, लौकिक संस्कृत, पालि आदि भाषाओं को आधार बनाया था। जैसे ‘धातु’ शब्द से ‘आतू’ प्रत्यय बनाकर platinum – महातू , Radium – तेजातू , calcuim – पूर्णातु आदि।



अंतर्राष्ट्रीयवादी सम्प्रदाय : इस संप्रदाय को  स्वीकरणवादी, शब्दग्रहणवादी, आदानवादी आदि अनेक नामों से जाना जाता है। इस संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करने वालो में डॉ• सी• लूथरा, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद , डॉ• जी• पी• घोष , ज• बीरबल , डॉ• एस• एस• भटनागर जैसे अंग्रेजी परम्परा व वैज्ञानिक क्षेत्र से जुड़े विद्वान शामिल थे। जिन्होंने केंद्रीय शिक्षा सलाहकार समिति से 1948 ई. को पाँचवें अधिवेशन में यह सलाह की कि अंग्रेजी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय पारिभाषिक शब्दों को ज्यों का त्यों हिंदी में समाहित कर लिया जाए और साथ ही इन्होंने इस पक्ष में कुछ बातें भी रखी जैसे-

  1. अंग्रेजी व अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली का प्रचार विश्व में सर्वाधिक होता है, अतः उससे परिचित होने पर हमारे विज्ञान या शास्त्र से जुड़े लोगों को भी विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित साहित्य को समझने में आसानी होगी।
  2. यह रास्ता अपनाने से अनुवादक और लेखक के लिए शब्दावली की समस्या सदा-सर्वदा के लिए सुलझ जाएगी। जैसे-

Tragedy – त्रासदी, 
Nitrogen – नेत्रजन, 
Comedy – कामदी, 
Doctor – डॉक्टर

प्रयोगवादी सम्प्रदाय : इस सम्प्रदाय को ‘हिंदुस्तानी सम्प्रदाय’ भी कहते हैं। इस संप्रदाय के पक्ष में हिंदुस्तानी भाषा के सार्थक पंडित सुंदरलाल, उस्मानिया विश्वविद्यालय तथा हिंदुस्तानी कल्चर सोसायटी जैसी संस्थाओं का नाम शामिल है। जिनका कहना है कि परिभाषिक शब्दों को जटिल ना बनाकर सरल एवं सहज बनाया जाए जो हिंदी और उर्दू भाषा के संबंध में आम-बोलचाल में सहज प्रयुक्त हो सकें। लेकिन असल बात तो यह है कि इस संप्रदाय के विद्वानों ने परिभाषिक शब्दावली के नाम पर शब्दों की पंचमेल-खिचड़ी पकाई है जैसे- 

Extermination – जड़ उखाड़ी, 
Reminder – याद दिलाई, 
Government – शासनिया, 
Emergency – अचानकी, 
Psychlogy – मनविद्या

लोकवादी सम्प्रदाय:  इस संप्रदाय के विद्वानों का मानना है कि परिभाषिक शब्द जन प्रयोग से ग्रहण करके तथा जन प्रचलित शब्दों के योग से बनाए जाने चाहिए। यह प्रणाली हिंदी भाषा की प्रकृति के अनुरूप तो थी, परंतु आवश्यकतानुसार तीव्रता से उचित संख्या में हिंदी के लिए सभी प्रकार के परिभाषिक शब्द नहीं जुटाए जा सकते हैं। जिसके कारण यह सम्प्रदाय भी असफल रही, लेकिन इस सम्प्रदाय द्वारा शामिल किए गए इन प्रचलित शब्दों को पारिभाषिक शब्दकोश में अपनालिया गया है। जैसे-

Defector – दलबदलू
Power house – बिजलीघर
Infiltrator – घुसपैठिया

समन्वयवादी सम्प्रदाय : इस सम्प्रदाय को ‘मध्यममार्गी सम्प्रदाय’ भी कहते हैं। जो भी इस विषय पर गम्भीरता से विचार करेगा, प्रायः इसी मत का समर्थन करेगा। इस संप्रदाय के पक्षधर विद्वानों ने पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण में कुछ सिद्धान्त बनाए जैसे- 

  1. पहले तो भारतीय भाषाओं जैसे संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, आधुनिक भारतीय भाषाओं, बोलियों, प्रांतीय भाषाओं आदी से सुविधा अनुसार शब्द ग्रहण करके पारिभाषिक शब्द बनाए जाएँ। जिससे हम अपने वर्तमान में मौजूद शब्द-भण्डार का पूरा उपयोग कर सकें।
  2. फिर भी जरूरत पड़ने पर जो विदेशी शब्द प्रचलित हैं उसे ले लिया जाए।
  3. यदि फिर भी अर्थ संप्रेक्षण की बात ना बने और शब्द चिंता पैदा हो तो ऐसी मज़बूरी में किसी और अप्रचलित विदेशी शब्दों को हिंदी में ग्रहण करने के लिए उसका अनुकूलन कर लिया जाए।

भारत सरकार की ओर से स्थापित वैज्ञानिक शब्दावली आयोग ने भी लगभग इसी प्रकार का मत व्यक्त किया है।


0 users like this article.

Related Articles

हिंदी साहित्य का काल-विभाजन एवं विभिन्न कालों का उपयुक्त नामकरण | Hindi Stack

हिंदी साहित्य का काल-विभाजन और...

हिंदी में साहित्य का इतिहास लेखन की परम्परा | Hindi Stack

हिंदी में साहित्य का इतिहास ले...

हिंदी नाटक के उद्भव एंव विकास को स्पष्ट कीजिए ? | Hindi stack

हिंदी नाटक के उद्भव एंव विकास ...

हिंदी का प्रथम कवि | Hindistack

हिंदी का प्रथम कवि

सूफी काव्य की महत्वपूर्ण विशेषताएँ | Hindi Sahitya

सूफी काव्य की विशेषताएँ

राही कहानी | सुभद्रा कुमारी चौहान | Rahi kahani by Subhadra Kumari Chauhan | Hindi stack

सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी ...

No more posts to show

Tags

हिंदी साहित्य
Hindi sahitya
अनुवाद
कहानी
Anuwad
Translation
Anuvad
Kahani
Aadikal
उपन्यास
आदिकाल
hindi kahani
Aadhunik kaal
भक्तिकाल
आधुनिक काल
रीतिकाल
फणीश्वरनाथ रेणु
Bhisham Sahni
आरोह
Vitaan

Latest Posts

1
रीतिकाल की परिस्थितियों का विवेचन
2
महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना और करूणा की अभिव्यक्ति
3
आदिकाल की प्रमुख परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए?
4
शेखर एक जीवनी में विद्रोह का स्वर
5
हिंदी साहित्य का काल-विभाजन और नामकरण
6
राम की शक्ति पूजा की मूल संवेदना

Popular Posts

रीतिकाल की प्रमुख परिस्थितियों का विवेचन कीजिए। | Hindi Stack

रीतिकाल की परिस्थितियों का विव...

महादेवी वर्मा के काव्य में वेदना एंव करूणा की अभिव्यक्ति पर प्रकाश डालिए ? | Hindi Stack

महादेवी वर्मा के काव्य में वेद...

आदिकाल की प्रमुख परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए | Hindi Stack

आदिकाल की प्रमुख परिस्थितियों ...

शेखर एक जीवनी में विद्रोह का स्वर | Hindi Stack

शेखर एक जीवनी में विद्रोह का स...

हिंदी साहित्य का काल-विभाजन एवं विभिन्न कालों का उपयुक्त नामकरण | Hindi Stack

हिंदी साहित्य का काल-विभाजन और...

राम की शक्ति पूजा की मूल संवेदना | Hindi Stack

राम की शक्ति पूजा की मूल संवेद...