आदिकाल का नामकरण | Hindistack

आदिकाल का नामकरण

हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन में ‘आदिकाल’ को लेकर हमेशा एक विवाद सा रहा है। अब चाहे आदिकाल के नामकरण की बात हो या काल-विभाजन की सभी इतिहासकारों व विद्वानों में पर्याप्त मतभेद मिलते हैं। क्योंकि अनेक विद्वानों ने ‘आदिकाल’ को अपनी आलोचनात्म दृष्टि से मूल्यांकन करने के पश्चात ही इसे आलग-अलग नामों से पुकारा है और ये नाम अनेक परीक्षाओं में किसी न किसी रूप में अक्सर पूछे जाते हैं। जिन्हें हमने आपके लिए सूचीबद्ध करने का प्रयास किया है।

'आदिकाल' का नामकरण

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इतिहासकारआदिकाल का नाम
जॉर्ज ग्रियर्सनचारण काल
राहुल सांकृत्यायनसिद्ध सामन्त काल
विश्वनाथ प्रसाद मिश्रवीरकाल
हजारीप्रसाद द्विवेदीआदिकाल
मिश्रबन्धुआरम्भिक काल
रामचन्द्र शुक्लवीरगाथा काल
डॉ रामकुमार वर्मासन्धिकाल / चारणकाल
राम खेलावन पाण्डेयसंक्रमण काल
महावीर प्रसाद द्विवेदीबीजवपन काल
बच्चन सिंहजातीय साहित्य/अपभ्रंश काल
रमाशंकर शुक्ल 'रसाल'आदिकाल तथा जयकाल
मोहन अवस्थीआधारकाल
धीरेंद्र वर्माअपभ्रंशकाल
हरिश्चंद्र वर्मासंक्रमणकाल
गणपतिचन्द्र गुप्तप्रारम्भिक काल/ शून्यकाल
शम्भुनाथ सिंहप्राचिन काल
वासुदेव सिंहउद्भवकाल
राम प्रसाद मिश्रसंक्रान्ति काल
चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'अपभ्रंशकाल/ पुरानी हिंदी का काल
डॉ. हरीशउत्तर अपभ्रंशकाल
शैलेष जेदीआविर्भाव काल
श्यामसुंदर दासवीरकाल /अपभ्रंश युग
डॉ. पृथ्वीनाथ कमल कुलश्रेष्ठअंधकारकाल
डॉ. राकेशउत्तर अपभ्रंशकाल/आविर्भावकाल
सुमन राजेआधारकाल
विजयेंद्र स्नातकवीर प्रशस्ति युग

याद रहे कि उपर्योक्त दिए गए आदिकाल के अनेक नामों में से ‘आदिकाल’ ही नाम सर्वाधिक मान्य रहा है। जिस पर तर्कसंगत तरीके से डॉ. नगेन्द्र ने अपने प्रसिद्ध इतिहास ग्रन्थ ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में कहा है- “वास्तव में आदिकाल ही ऐसा नाम है, जिसे किसी-न-किसी रूप में सभी इतिहासकारों ने स्वीकार किया है तथा जिससे हिंदी साहित्य के इतिहास की भाषा, भाव, विचारणा, शिल्प, भेद, आदि से सम्बंध सभी गुत्थियाँ सुलझ जाती हैं।”

 

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