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रीतिकाल का नामकरण

रीतिकाल का नामकरण | Hindistack
का नामकरण

हिंदी साहित्य में रीतिकाल का नामकरण क्या हो इसको लेकर विद्वानों में काफी मतभेद पाया जाता है क्योंकि इस काल के ग्रंथों का अवलोकन करने पर किसी इतिहासकार को इस काल में कहीं ‘श्रृंगार रस’ की प्रधानता मिलती है तो कहीं ‘रीति’ नामक तत्व की, ऐसे ही कहीं पर अलंकारों की बहुलता है जिस कारण इस काल के भी अनेक नाम मिलते हैं। इन नामों की सूची इस प्रकार है-

रीतिकाल का नामकरण

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इतिहासकाररीतिकाल का नाम
जॉर्ज ग्रियर्सनरीतिकाव्य
मिश्रबन्धुअलंकृत काल
एडविन ग्रीब्सएलाबोरेटिव पीरियड
रामचन्द्र शुक्लरीतिकाल/ उत्तर मध्यकाल
रमाशंकर शुक्ल रसालकलाकाल
बाबू श्यामसुंदर दासरीति ग्रन्थों का युग
रामकुमार वर्मारीतिकाल
विश्वनाथ प्रसाद 'मिश्र'श्रंगारकाल/ उत्तर मध्यकाल
हजारीप्रसाद 'द्विवेदी'रीतिकाल
डॉ. हरिश्चंद्र वर्मा रीतिकाल
डॉ. नगेन्द्ररीतिकाल
डॉ. बच्चन सिंहरीतिकाल
रामस्वरूप चतुर्वेदीरीतिकाल
डॉ. रामखेलावन पाण्डेसम्वर्धन काल
डॉ. गणपति चंद्रअपकर्ष काल
डॉ. भगीरथ मिश्ररीति श्रंगार युग
रामप्रसाद मिश्रशास्त्रीय काल
नगरी प्रचारणी सभाकाशी श्रंगार काल
त्रिलोचनअंधकार काल
एफ. ई.के  चारणी काल
सूर्याकांत शास्त्रीलालित्य युग
चतुरसेन शास्त्रीअलंकृतकाल
विश्वनाथ त्रिपाठीरीतिकाल
शंभुनाथ सिंहह्रास काल
सत्यकाम वर्माकाव्य विलास युग
राम अवध द्विवेदी रीतिशाखा काल

याद रहे उक्त सभी विद्वानों के दिए गए नामों में से सर्वमान्य नामकरण ‘रीतिकाल’ ही है जिसे सर्ववप्रथ आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने दिया था। उन्होंने उत्तर मध्यकाल में ‘रीति’ नामक तत्व की प्रधानता के कारण इस काल को ‘रीतिकाल’ नाम की संज्ञा दी। डॉ. नगेंद्र , बच्चन सिंह जैसे हिंदी के बड़े इतिहासकारों ने भी इस काल को ‘रीतिकाल’ कहना ही अधिक वैज्ञानिक व तर्कसंगत समझा है।

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